जब हम पैसे का निवेश करते हैं तो उस समय हमारा लक्ष्य हमेशा ऐसा सही स्टॉक चुनना होता है जो हमारे निवेश पर अधिकतम रिटर्न हमें दे सके। ऐसा करने के लिए निवेशक विभिन्न गुणात्मक और मात्रात्मक विश्लेषण उपकरण का सहारा लेते हैं, जो उनको स्टॉक का विश्लेषण करने में मदद करते हैं।
Equity में निवेश करने के कई तरीके होते हैं, लेकिन ऐक निवेशक के मन में बहुत सवाल उठते हैं, जैसे- स्टॉक चुनने का सबसे उपयुक्त तरीका कौन-सा है?, सबसे अच्छी approach क्या है?, इस approach का इस्तेमाल कब किया जाना चाहिए? आदि।
लेकिन जब निवेश की बात आती है, तो कोई एक perfect strategy या दृष्टिकोण नहीं होता है जो सभी निवेशकों के लिए सबसे इष्टतम(optimal) हो। Internal और external दोनों कारकों का आकलन करने के लिए आपको अपने कौशल और पर्याप्त ज्ञान कि आवश्यकता होती है। इसलिये उस समय आपको तय करना चाहिये की कौन-सी निवेश रणनीति आपके लिये सबसे अच्छा काम करती है।
हालांकि, शेयर बाज़ार में नये लोगों के लिए Top-Down Approach और Bottom-Up Approach को समझना आसान नहीं होता है। इसलिए, इस लेख में, हम आपको इन दो सबसे प्रमुख Investment Approach के बारे में बतायेंगे, जो हैं- Top-Down Approach और Bottom-Up Approach.
इसके साथ ही आपकी बेहतर समझ के लिये हम आपको इनके बीच का अंतर Top Down Approach V/S Bottom up Approach, और इनके फायदे Advantages of Using Top-Down Approach तथा नुकसान Disadvantages of Using Top-Down Approach भी विस्तार से बतायेंगे।
Top-Down Investing Approach (Top-Down Approach क्या हैं?)
स्टॉक मार्केट में निवेश करने के सबसे प्रचलित तरीकों में से एक हैं Top-Down Investing Approach.
यह Approach पूरे स्टॉक मार्केट का एक व्यापक दृष्टिकोण लेने के साथ शुरू होती है जब तक कि निवेश पर कोई अंतिम फैसला नहीं कर लिया जाता है।
Top-Down Approach को EIC Approach (अर्थव्यवस्था, उद्योग, कंपनी) के रूप में भी जाना जाता है।
Top-Down Approach में प्रमुख कारको और तथ्यो की पहचान करने के लिए देश के व्यापक आर्थिक, जनसांख्यिकीय और सांस्कृतिक परिवर्तनों का अवलोकन करना शामिल होता है, जो बदले में sectors की growth और profitability का निर्धारण करता हैं। दूसरे शब्दों में कहे तो, macro factors का विश्लेषण करना प्रमुख निर्धारक होता है।
Top-Down Approach का उपयोग करते समय, निवेशक macroeconomic factors को देखते हैं, अर्थात एक देश या कई देशों को चुनना, वे लोग उन sectors में निवेश करना पसंद करते हैं जहां वो उम्मीद करते हैं कि बाजार अच्छा प्रदर्शन करेगा। अंत में, वो उन sectors में अलग-अलग कंपनियों के बारे में बात करते हैं जिन पर उनको भरोसा होता हैं की यह हमें बेहतर प्रदर्शन करेंगी।
किसी विशेष sector के लिए, निवेशक उस विशेष sector में विभिन्न कंपनियों के प्रदर्शन का विश्लेषण करता है और उन शेयरों को चुनता है जिनका भविष्य उज्ज्वल होता है। दूसरे शब्दों में, Top-Down Approach निवेशक स्टॉक चुनने से पहले macro-economic environment पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
इस रणनीति का मुख्य उद्देश्य market cycles का पालन करने वाले अवसरों का फायदा उठाना होता है। यह एक macro-economic विश्लेषण से शुरू होता है और फिर micro-economic तक जाता है। इसका लक्ष्य उन शेयरों को चुनना है जो आने वाले समय में general economic trends से बेहतर प्रदर्शन करेंगे।
Bottom-Up Investing Approach (Bottom-Up Approach क्या हैं?)
Bottom-Up Approach के तहत, निवेशक का मुख्य फोकस company-specific variables पर होता है और धीरे-धीरे अन्य factors तक फैलता है। Bottom-Up Approach का प्रारंभिक बिंदु कंपनी होता है। इस Approach में अंतर्निहित विचार यह होता है कि अच्छी कंपनियां निवेशक को आम तौर पर अच्छी संपत्ति बनाने में मदद करती हैं, भले ही बाजार और अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हों।
कई कंपनियों के मामले में, जब overall market scenario बहुत अच्छा नहीं होता हैं, तब भी वे अच्छे परिणाम देते हैं। Top-Down Approach की तुलना में यह Approach अधिक stock-specific होती है।
Top-Down Approach के विपरीत, Bottom Up Approach में पहले स्टॉक को देखा जाता है, उसके बाद sector trends और अंत में market trends को देखा जाता है। निवेश के इस Approach का उपयोग करते हुए निवेशक शेयरों को चुनते समय कम P/E ratio वाले शेयरो को अधिक पसंद करते हैं।
इस Approach का उपयोग करते समय अन्य ध्यान दिये जाने वाले कारकों में Current Ratio, Net Profit Margin, Revenue Growth, Return on Equity आदि शामिल होते हैं।
Top Down Approach v/s Bottom Up Approach (Top Down Approach और Bottom Up Approach में क्या अंतर हैं?)
Top Down Approach विश्लेषण निवेश करते समय व्यापक आर्थिक कारकों को देखकर शुरू किया होता है। इसलिए, यह तय करने से पहले कि क्या कोई निवेश विशेष रूप से फायदेमंद है, निवेशकों को देश की जीडीपी, मुद्रास्फीति की दर(inflation rates), ब्याज दरों में वृद्धि और गिरावट का अध्ययन करना जरूरी होता हैं।
Bottom-Up Approach पूरी तरह से अलग दृष्टिकोण लेता है। आम तौर पर, Bottom-Up Approach अपने विश्लेषण को एक खास शेयर की विशिष्ट विशेषताओं और सूक्ष्म विशेषताओं(micro attributes) पर केंद्रित करता है।
ये दोनो Approach किसी कंपनी के fundamentals का अच्छी तरह से विश्लेषण करते हैं, लेकिन साथ ही sector और microeconomic factors का भी विश्लेषण करते हैं। आम तौर पर, Bottom-Up Approach का उपयोग buy-and-hold investors द्वारा किया जाता है, जिन्हें कंपनी के fundamentals की गहरी समझ होती है।
Top-Down and Bottom-Up Approach Example
Top-Down Approach और Bottom-Up Approach को आप निम्न उदाहरण द्वारा समझ सकते हैं:
माना कि, कोई व्यक्ति अपनी पूंजी को भारतीय शेयरों में निवेश करता है, और उसके पोर्टफोलियो में metal और commodities sector की बहुतायत होती हैं। इसलिये यहां समग्र रूप से commodity sector में निवेश और किसी विशेष sector में उच्च वेटेज देना Top-Down Investing Approach का एक उदाहरण है।
उसी तरह, अगर किसी दूसरे निवेशक का मानना है कि टाटा स्टील या नेशनल एल्युमीनियम (NALCO) जैसे विशिष्ट शेयरों को commodity sector की कीमतों में बढ़ोतरी से सबसे ज्यादा फायदा होगा। इसलिए वह इन शेयरों में उसी क्षेत्र के अन्य शेयरों की परवाह किए बिना निवेश करता है, तो यह Bottom-Up Investing Approach मानी जाती है।
Advantages of Top-Down Approach (Top-Down Approach के क्या-क्या फायदे हैं)
निवेशको की नज़र में Top-Down Investing Approach के कई फायदे होते है। हालांकि सबसे महत्वपूर्ण फायदा निवेश के समय होने वाले जोखिम को कम करना है। Top-Down Approach को नियोजित करने के लिए बहुत अधिक शोध की आवश्यकता होती है। आपको न केवल विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं की तुलना करनी होती हैं, बल्कि चुने हुए देश में भी विभिन्न sectors की तुलना करनी होती है। इसका मतलब यह होता है कि ऐसी कंपनी चुनने की संभावना कम होती हैं जो downward trend वाली होती हैं। इसलिए, निवेश के जोखिम को कम करना इसका मुख्य फायदा माना जाता हैं।
Top-Down Investing Approach का उपयोग करने का एक अन्य कारण यह होता है कि यह आपको विभिन्न sectors में अपने निवेश में विविधता लाने की अनुमति देता है। आप वैश्विक बाजारों में अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने का विकल्प भी चुन सकते हैं। यदि आप एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में आते हैं जो अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, तो आप अपनी पूंजी का कुछ हिस्सा इसमें आवंटित कर सकते हैं। जिस प्राथमिक बाजार में आपने निवेश किया है, उसमें यदि गिरावट भी आती हैं तो आपका नुकसान बहुत कम होगा।
Disadvantages of Top-Down Approach (Top-Down Approach के क्या-क्या नुकसान हैं)
Top-Down Approach में एक बड़ा जोखिम यह होता है कि इसके द्वारा mutual funds चुनने में गलती हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, दुनिया भर के शीर्ष fund managers ने तेल की कम कीमतों के कारण Auto Sector की बिक्री में तेजी की भविष्यवाणी की थी और Auto Sector में भारी निवेश किया था, लेकिन यह एक खराब दांव साबित हुआ।
Top-Down Approach में, फंड मैनेजर कुछ ऐसे क्षेत्रों का चयन कर सकते हैं जो आपके पोर्टफोलियो को कम विविधतापूर्ण बना सकते हैं और bull run के दौरान अवसर का नुकसान हो सकता है। यह दृष्टिकोण पूरे sectors को उनके अधीन शीर्ष कंपनियों के लिए accounting के बिना, consideration से भी हटा देता है। ऐसी कंपनियों के शेयर, बाजार में काफी अच्छा काम कर सकते हैं।
हालांकि, Top-Down Investing की बड़ी कमी यह है कि जब तक आप Equity और Bonds में निवेश नहीं करते हैं, तब तक इस पद्धति का उपयोग करके तैयार किए गए final portfolio पर न्यूनतम नियंत्रण होता है। इसके अलावा, यदि किसी ने विविधीकरण पर नहीं बल्कि देशों और sectors पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है, तो उसे जोखिम का सामना करना पड़ सकता है।
Conclusion
कुल मिलाकर Top-Down और Bottom-Up Approach के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं। जबकि Top-Down Approach किसी देश में निवेश के माहौल का एक बड़ा और समग्र परिप्रेक्ष्य प्रदान करता है, Bottom-Up Approach व्यक्तिगत कंपनियों को factoring down करने में मदद करता है, जिनके पास विकास की क्षमता है और एक आकर्षक valuation पर व्यापार कर रहे हैं।
प्रत्येक approach में विभिन्न कारक हैं जो कुछ निवेशकों के अनुकूल हैं और कुछ के विपरीत। आपको अपने निवेश में किस निवेश शैली का उपयोग करना है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपके लिए सबसे अच्छा क्या है और आपका economic environment क्या है। एक निवेशक के रूप में, यह तय करने से पहले इन कारकों में से प्रत्येक पर विचार करना चाहिए कि क्या Top-Down Investing उनकी निवेश शैली के अनुकूल है या नहीं हैं।
जब हम पैसे का निवेश करते हैं तो उस समय हमारा लक्ष्य हमेशा ऐसा सही स्टॉक चुनना होता है जो हमारे निवेश पर अधिकतम रिटर्न हमें दे सके। ऐसा करने के लिए निवेशक विभिन्न गुणात्मक और मात्रात्मक विश्लेषण उपकरण का सहारा लेते हैं, जो उनको स्टॉक का विश्लेषण करने में मदद करते हैं।
Equity में निवेश करने के कई तरीके होते हैं, लेकिन ऐक निवेशक के मन में बहुत सवाल उठते हैं, जैसे- स्टॉक चुनने का सबसे उपयुक्त तरीका कौन-सा है?, सबसे अच्छी approach क्या है?, इस approach का इस्तेमाल कब किया जाना चाहिए? आदि।
लेकिन जब निवेश की बात आती है, तो कोई एक perfect strategy या दृष्टिकोण नहीं होता है जो सभी निवेशकों के लिए सबसे इष्टतम(optimal) हो। Internal और external दोनों कारकों का आकलन करने के लिए आपको अपने कौशल और पर्याप्त ज्ञान कि आवश्यकता होती है। इसलिये उस समय आपको तय करना चाहिये की कौन-सी निवेश रणनीति आपके लिये सबसे अच्छा काम करती है।
हालांकि, शेयर बाज़ार में नये लोगों के लिए Top-Down Approach और Bottom-Up Approach को समझना आसान नहीं होता है। इसलिए, इस लेख में, हम आपको इन दो सबसे प्रमुख Investment Approach के बारे में बतायेंगे, जो हैं- Top-Down Approach और Bottom-Up Approach.
इसके साथ ही आपकी बेहतर समझ के लिये हम आपको इनके बीच का अंतर Top Down Approach V/S Bottom up Approach, और इनके फायदे Advantages of Using Top-Down Approach तथा नुकसान Disadvantages of Using Top-Down Approach भी विस्तार से बतायेंगे।